दिल में मोहब्बत का होना ज़रूरी है, वरना याद तो रोज दुश्मन भी किया करते हैं।

अक्सर वही लोग उठाते हैं हम पर उँगलियाँ, जिनकी हमे छुने की औकात नहीं होती।

दुश्मनों को सज़ा देने की एक तहज़ीब है मेरी, मैं हाथ नहीं उठाता बस नज़रों से गिरा देता हूँ।

जहाँ कदर न हो अपनी वहाँ जाना फ़िज़ूल है, चाहे किसी का घर हो चाहे किसी का दिल।

सुन पगली… तू मोहब्बत है मेरी इसलिए दूर है मुझसे, अगर जिद होती तो मेरी बाहों में होती।

ना दिल में आता हुँ ना दिमाग में आता हुँ :: अभी सोता हुँ कल फिर Online आता हुँ 🙂

सुन पगली जैसा तू सोचती हो वैसा मै हूँ नहीं और जैसा मै हूँ ना वैसा तू सोच भी नही सकती..

“अरे दुश्मन से क्या लड़ेंगे… साला अपनो से तो फुर्सत मिले”

अपुन का स्टाईल भी साला Amazon जैसा है लोग कहते है “और दिखाओ और दिखाओ…”